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Cheque Bounce Hone Par Kya Kare : चेक बाउंस होने पर क्या करें? चेक बाउंस की सजा
चेक बाउंस क्या होता है
चेक बाउंस एक लीगल टर्म है जिसका इस्तेमाल तब होता है जब किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए चेक पर ट्रांजैक्शन करने की कोशिश की जाती है और वह नाकाम हो जाती है या फिर रोक दिया जाता है। यह प्रक्रिया जिसके बाद चेक बाउंस माना जाता है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि चेक बाउंस क्या होता है, चेक बाउंस कैसे होता है, Cheque Bounce Hone Par Kya Kare तथा चेक बाउंस होने की सजा क्या है।चेक बाउंस कैसे होता है?
चेक बाउंस तब होता है जब किसी अकाउंट से चेक दिया जाता है और जब बेनिफिशियरी या पेयी(Payee) उस चेक को कैश करता है तो वह चेक रिटर्न हो जाता है इसी को चेक बाउंस कहा जाता है। इसका मतलब है की चेक में लिखा गया है अमाउंट पेयी(Payee) के अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुआ है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि चेक के अकाउंट में पैसे नहीं हो या फिर अकाउंट ही बंद हो चुका हो इस स्थिति में पेयी(Payee) को चेक रिटर्न होने की जानकारी मिलती है।Cheque Bounce Hone Par Kya Kare
चेक बाउंस होने पर क्या करें ?
चेक बाउंस का कारण बनने वाले व्यक्ति के खिलाफ केस किया जाता है। इसके लिए Payee को कोर्ट में चेक बाउंस नोटिस भेजना होता है। इस नोटिस में payee से पूछा जाता है कि चेक बाउंस का कारण क्या है और उसने चेक देने से पहले अपने बैंक अकाउंट के फंड्स को कंफर्म किया था या नहीं। अगर payee केस को कंटेस्ट नहीं करता है या फिर उसका रिस्पांस कोर्ट के द्वारा नही माना जाता है तो केस बिना सुनवाई के उसके खिलाफ करार दिया जा सकता है। Cheque Bounce Hone Par Kya Kare
NI act(Negotiable Instruments act, 1881) की धारा 138 के अंतर्गत अगर किसी व्यक्ति द्वारा भुगतान हेतु दिए गए चेक का बाउंस हो जाता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए चेक देने वाले व्यक्ति को चेक बाउंस होने के 30 दिन के भीतर एक लीगल नोटिस भेजना होता है। इसके बाद चेक देने वाले व्यक्ति को 15 दिन के अंदर नोटिस का जवाब देना होता है। यदि 1 महीने के अंदर चेक का पुनः भुगतान नहीं होता है तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
चेक बाउंस होने की सजा क्या है?
यदि चेक देने वाला व्यक्ति लीगल नोटिस का कोई जवाब नहीं देता है या पैसा देना ही नहीं चाहता है तो उसके खिलाफ एन०आई० एक्ट की धारा 138 के तहत सिविल न्यायालय में मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
इस धारा में यदि चेक जारी करने वाला व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसे 2 साल की सजा और साथ में जुर्माना भी हो सकता है। Cheque Bounce Hone Par Kya Kare
चेक बाउंस से बचने के लिए कुछ सावधानियां निम्न है-
चेक बाउंस से बचने के लिए कुछ सावधानियां हैं। चेक देने से पहले खाते के फंड्स को कंफर्म कर लेना चाहिए अकाउंट में फंड्स नहीं है तो चेक बाउंस होगा और केस भी चलता रहेगा इसलिए चेक देने से पहले अकाउंट बैलेंस को कंफर्म करें। इसी तरह पेमेंट क्लियर होने के बाद ही गुड्स सर्विसेज दीजिए। चेक बाउंस होने पर दोनों पार्टीज के लिए नुकसान होता है। Cheque Bounce Hone Par Kya Kare
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